TOP GUIDELINES OF BEST HINDI STORY

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गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।

उस दिन बड़े सवेरे जब श्यामू की नींद खुली तब उसने देखा—घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी काकी उमा एक कंबल पर नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि-शयन कर रही हैं, और घर के सब लोग उसे घेरकर बड़े करुण स्वर में विलाप कर रहे हैं। लोग जब उमा को श्मशान सियारामशरण गुप्त

भावी और मूर्ति को उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, जब मूर्ति अचानक उठे और चिल्लाए “मैं दो लड्डू से खुश हूं।” बाद में उन्होंने पूरी कहानी ग्रामीणों को बताई। तभी से मूर्ति को गांव में “लड्डू भिखारी” नाम दिया गया।

आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।

नोट–इस अत्यंत संक्षिप्त टिप्पणी में असंख्य अत्यंत महत्वपूर्ण कहानियाँ छूट गई हैं, जिनमें अज्ञेय की 'शरणदाता', 'विपथगा', और 'रोज़', निर्मल वर्मा की 'परिंदे', और 'कौए और कालापानी', अमरकांत की 'बू' और 'ज़िंदगी और जोंक', कृष्णा सोबती की 'यारों के यार' और 'मित्रो मरजानी', काशीनाथ सिंह की 'सुख' और अन्य कहानियां, विनोद कुमार शुक्ल की 'पाठशाला', हिंदी कहानी में अपनी अपूर्व जगह रखनेवाले विरल कथाकार रामनारायण शुक्ल की 'सहारा' और 'खलनायक', राजेंद्र यादव की 'टूटते खिलौने' और 'जहां लक्ष्मी क़ैद है', मन्नू भंडारी, कृष्ण बलदेव वैद, स्वयं प्रकाश, शेखर जोशी, ओम प्रकाश वाल्मीकि, देवेंद्र, शिवमूर्ति, बलराम, अमितेश्वर, व्रजेश्वर मदान, चंद्रकिशोर जायसवाल, जयनंदन, अवधेश प्रीत, प्रियंवद, सृंजय, सनत कुमार ..... सूची बहुत लंबी है.

मुस्लिम बुज़ुर्ग को ट्रेन में बीफ़ के शक में पीटे जाने का क्या है मामला, अब तक क्या कार्रवाई हुई

Image: Courtesy Amazon This can be a imagined-provoking novel prepared by Kamleshwar, a renowned Indian writer. At first published in Hindi, the novel delves in the elaborate fabric of India’s social and political landscape through the tumultuous period of partition in 1947. Kamleshwar weaves a narrative that explores the effects of partition over the life of regular people today along with the deep-rooted scars it left about the nation’s collective psyche.

अपने घर पहुँचने पर, उसने तुरंत अपनी पत्नी को मछलियाँ दीं और उसे स्वादिष्ट भोजन बनाने को कहा। पर जब पत्नी ने मछली का पहला टुकड़ा खाया तो वह तुरंत बेहोश हो गई। जैसे ही वह बेहोश हुई, पीछे से एक आवाज आई। आवाज ने किसान से कहा कि उसे उसके लालच की सजा मिली है। किसान ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और अपनी पत्नी को बचाने का अनुरोध किया। आवाज ने किसान को आदेश दिया कि मछली बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तन उसी सरोवर सरोवर में फेंक दे। उसने वैसे ही किया और इस तरह उसकी पत्नी फिर से उठ खड़ी हुई।

With each other, they’ll understand the right ways And just how it might protect them from finding Unwell. Critique: “Easy to read through and recognize! Anything I would go through to my son!” – Parent This e book is …

इमेज कैप्शन, मन्नू भंडारी ने 'यही सच है', 'अकेली' और 'मैं हार गई' जैसी प्रसिद्ध कहानियाँ लिखीं.

(एक) रज्जब क़साई अपना रोज़गार करके ललितपुर लौट रहा था। साथ में स्त्री थी, और गाँठ में दो सौ-तीन सौ की बड़ी रक़म। मार्ग बीहड़ था, और सुनसान। ललितपुर काफ़ी दूर था, बसेरा कहीं न कहीं लेना ही था; इसलिए उसने मड़पुरा-नामक गाँव में ठहर जाने का निश्चय किया। वृंदावनलाल वर्मा

बहुत समय पहले की बात है जब देवी देवता इंसान मिलने धरती पर आते थे। एक गाँव में शायरा नाम की बच्ची अपनी माँ के साथ रहती थी। वह दोनों दूसरों के कपडे धो कर पैसे कमाते थे। शायरा सोच रही थी की इस बार दिवाली पर वह अपनी माँ को क्या उपहार देगी। तभी एक कौवा वहां उड़ता हुआ आया और अपनी चोंच से एक मोतियों का हार गिरा गया। शायरा खुश हो गयी की इस बार वह अपनी read more माँ को दिवाली पर हार देगी।

गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।

(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'

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